हुआ क्या कदम आज रुकने लगे
तुम मुझे आज बेगाने लगने लगे
ऐ प्रिये कुछ बताओ भला क्या हुआ
तेरे हर गम में खुश हम यूँ लगने लगे
याद कर लो उसी दिन को जब तुम मिले
थे मिटे उस दिन पहले के कितने गिले
फिर गिले आके आख़िर क्यों ऐसे मिले
कि एक दूजे के दुश्मन हम लगने लगे
तुमने कहा कुछ क्या हमने सुना
क्या हमने कहा तुम समझते गए
कुछ सुने भी गए कुछ रहे अनसुने
दोष तुमपे तुम हमपे यूँ मढ़ने लगे
चला न पता दोष किसका कहाँ तक
न तुम नम हुए ना ही हम कम हुए
बात एक दिन न हो न बिताए बिते
आज दूरी को ही नजदीकियां हम समझने लगे
चलो अच्छा है प्यारी ये अच्छा ही था
अब आगे बढ़ो कुछ समझते हुए
कुछ ऐसा करो कुछ लगे कुछ भला
ताकि दूरियां नजदीकियों में बदलने लगे ............... ।
तुम मुझे आज बेगाने लगने लगे
ऐ प्रिये कुछ बताओ भला क्या हुआ
तेरे हर गम में खुश हम यूँ लगने लगे
याद कर लो उसी दिन को जब तुम मिले
थे मिटे उस दिन पहले के कितने गिले
फिर गिले आके आख़िर क्यों ऐसे मिले
कि एक दूजे के दुश्मन हम लगने लगे
तुमने कहा कुछ क्या हमने सुना
क्या हमने कहा तुम समझते गए
कुछ सुने भी गए कुछ रहे अनसुने
दोष तुमपे तुम हमपे यूँ मढ़ने लगे
चला न पता दोष किसका कहाँ तक
न तुम नम हुए ना ही हम कम हुए
बात एक दिन न हो न बिताए बिते
आज दूरी को ही नजदीकियां हम समझने लगे
चलो अच्छा है प्यारी ये अच्छा ही था
अब आगे बढ़ो कुछ समझते हुए
कुछ ऐसा करो कुछ लगे कुछ भला
ताकि दूरियां नजदीकियों में बदलने लगे ............... ।