कोशिश जो किया मैनें अब याद ना वो आए
पर याद को क्या कहेना वो आ ही जाती है
चाहूं जो भुलाना मैं उनको हरदम हरपल
तब याद बराबर क्यूं उनकी ही आती है
हर एक फिजाओं में उनकी ही वफाएं हैं
फरियाद करें क्या हम हमको ही सताती है
एहसान जरा मुझ पर ये याद करो इतना
वो भी तो जरा तड़पे जो मुझको रुलाती है
मौसम की तरंह मैं भी क्या खूब बना सरगम
पर वक्त को क्या कहेना वो दूर ही जाती है ...................
2 टिप्पणियां:
" very beautifully written liked it"
few of my words on Yaad:
आप की यादों का काफिला,
कुछ इस तरह से,
मेरे साथ चलता है,
" की"
आप से हर रोज
मुलाकात हो जाती है
Regards
इन यादों के संसार में यादें ही आती है, हम भूलने के बहने ही याद कर लेतें है।आप मुझे भुलाने की कोशिश करते रहो, कम से कम इसी बहने मुझे याद करते रहो।
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