माँ तू आज
मुझे याद आई
चारों तरफ की हरियाली
हो गयी ख़ाली खाली
नव पल्लव से सजते
दिखी मुझे सूखी डाली
भर गयी उस्डौरी सारी
डूब लाई हरियाली
तब माँ तेरी वह 'भूमिका'
मेरे मन मष्तिष्क में आई
माँ तू आज मुझे याद आई
खाने को रोटी नहीं
कपडा गन्दा साफ़ नहीं
धूल उड़ जब धरा से
धीरे धीरे तेज वेग से
मेरे मुख मंडल पर आयी
याद उस आँचल के
तनिक छुवन की कर
जब मेरी आखें भर आई
तब माँ !
तू आज मुझे याद आई ...... ।
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