यादों का टूटा तारा हूँ
रहता हूँ यादों में बिछड़कर
चाहता हूँ निकलना भी, पर
जाऊं कहाँ यादों से हटकर
छूट जाते हैं जब हम सभी से
रूठ जाते हैं जब सब हमी से
हो जाता है अँधेरा
ना कहीं कोई साथी दिखता
ना कहीं कोई सवेरा
तब दूर देश से आती एक रोशनी
सब कुछ कहते सुनते हैं
रोशनी को अपना समझकर
यादों का टूटा तारा हूँ
रहता हूँ यादों में बिछड़कर ........ ।
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