मेरी दुनिया में " तुम " तुम ना रहे
कोई और आया था तुमसे पहले
आप बनकर
सहज सुंदर स्वाभाविक रूप सा
एकदम सरल एकदम सीधा
मिलता भी हर जगंह
' यहा ' या ' वहाँ ' या कहीं और
जरूरी नहीं की मैं ही
उसके पास जाऊं रोज सुबह सुबह
जरूरत हर की हर से होती है
हमारे उसके रिश्ते के
सबसे ठोस प्रत्यक्ष वजह
एक एक के लिए , एक दूसरे जैसा
बिन ' दूसरे ' एक कैसा
क्योंकि हमारी दुनिया है निराली
निराली दुनिया में पहले के ' तुम '
आज के ' आप ' हो गए
' आप ' साथी , दोस्त बने
दुश्मन ना रहे
मेरी दुनिया में ' तुम ' तुम ना रहे
कोई और आया था तुमसे पहले
आप बनकर ....... ।
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