क्या पड़ी है हमें मुसीबतों से तुम्हारे
हमारे लिए तो बहुत हैं हमारे
नहीं मिला तुम्हें तो हर्ज क्या है आखिर
हमें तो मिलेगा ही जो चाहते हैं हमारे .
लिखा भाग्य में है रहो लाइनों में
बदलेगा, न सक , चेहरा बस आइनों में
हो साथी मुसीबत के सुख करोगे क्या आखिर
पाने दो उनको जो सगे हैं हमारे
ऐसा नहीं की दूर हम होंगे तुमसे
रहेंगे वहीं न मिल पाओगे हमसे
हैं 'जनप्रतिनिधि ' मगर ज्यादा चाहोगे क्या आखिर
करने दो उनको जो चाहते हैं हमारे
यही क्या कम, पहुँच दर्शन दिए हम
तुम्हारे लिए आशा का दर्पण लिए हम
हो मगन , देखो चेहरा और जरूरत ही क्या आखिर
जरूरत हमारी ,'अनिल ' है पास आए हम तुम्हारे ..........
1 टिप्पणी:
VERY FANTASTIC ANIL SIR..........
ASHISH PANDEY
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