हे मन आश तूं केके लिए है
प्यार वफ़ा रिश्ते सब नाते बस थोड़े दिन के हैं
आज खुसी कल खिल खिल हँसना परसों गाना हाल
नरसों सुन कुछ गुस्सा होना अगले दिन दुःख के हैं
भूल जा चेहरा फ़िर से उनके जानें से ले सन्यास
तीखे वचन "अनिल" शरीर शालत अच्छे के मालिक के हैं .................. ।
२
मैं तो मातु चरण रज प्यासा
कब आएगी अमृत -रज उसकी कब देगा मन दिलासा
सोंचा था प्रतिपल साथ वो मेरे होगी शाश्यामल जीवन गाथा
उसकी ममता हर वो सुख देगी मन लहरेगा ध्वजा सा
अब तो मम ख्वाबें भी रूठे दामन पकडी निराशा
जीवन मैं सब सुख साधन हैं पर नहीं उसकी आशा ................ ।
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