चुप हूँ , मौन हूँ, बेबसी है मेरी
इस छोटे से जीवन में विपदा घनेरी
घनेपन में निकालूँगा रास्ता एक ऐसा
इस छोटे से जीवन में विपदा घनेरी
घनेपन में निकालूँगा रास्ता एक ऐसा
मिट जायेगी एक दिन ये काली अँधेरी
निकलेगा चाँद अभिनव रोशनी को संग ले
टिमटिमाते तारों से धरती ये जगमगा जायेगी
दौड़ता हुआ आएगा सूरज भी एक दिन
बजेगी संवादों की भेरी जब मेरी
ऐसा भी न सोंचो कि बाते ख़तम हैं
ढा रहा खुदा जिस कारण सितम है
बातें तो बहुत हैं हाले इस दिल में
पर क्या करें कि समय से हम तोड़े हुए है
रख रख के थोडा थोडा नीबू की तरह
सब के सम्मुख आज हम निचोड़े हुए हैं
एक दिन फिर रस का संचार होगा
फ़िदा मेरे ऊपर सारा बाजार होगा
पड़े रह जायेंगे सब कीमती दम वाले
खुल जायेंगे अकलों के पिटारे जब मेरी