बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

दीप की बेबसी

आत्मा दुखी मन हंस रहा है 


जीवन का कुछ अनुभव पाकर 

घर घर देखा हमने जाकर 

रोशनी मिलती जिससे , वह दीपक 

पतंगे की फडफदाहत   पर तरस रहा है 


कितना सुन्दर,! आह ! उदार कितना

ह्रदय पतंगे का , मृदुल व्यवहार कितना 

रहा तड़पता मुझपर , नहीं मैं दिया 

हक़ इसका, जितना बनता नहं लिया 

इसने , हाल मेरा जस का तस रहा 


किया बखान पतंगे का सबनें , देखा नहीं 

वह प्यार हमने , रूप रंग पर मेरे वह 

मिटता रहा , हमने तो चाह रह दिखाना 

उसको रोशनी देकर , मारा वह  , उलटे

मिलता मुझको ही अपजस रहा  


आत्मा दुखी मन हंस रहा       

.मायावी सुर मायावती के

क्या पड़ी है हमें मुसीबतों से तुम्हारे 

हमारे लिए तो बहुत हैं हमारे 

नहीं मिला तुम्हें तो हर्ज क्या है आखिर 

हमें तो मिलेगा ही जो चाहते हैं हमारे  . 


लिखा भाग्य में है रहो लाइनों में 

बदलेगा, न सक , चेहरा बस आइनों में

हो साथी मुसीबत के सुख करोगे क्या आखिर

पाने  दो  उनको  जो  सगे  हैं  हमारे


ऐसा नहीं की दूर हम होंगे तुमसे 

रहेंगे वहीं न मिल पाओगे हमसे 

हैं  'जनप्रतिनिधि ' मगर ज्यादा चाहोगे क्या आखिर 

करने दो उनको जो चाहते हैं हमारे


यही क्या कम, पहुँच दर्शन दिए हम

तुम्हारे लिए आशा का दर्पण लिए हम 

हो मगन , देखो  चेहरा और जरूरत ही क्या आखिर
  
जरूरत हमारी ,'अनिल ' है पास आए हम तुम्हारे ..........

दोस्ती-प्यार

दोस्त 

दोस्ती को निभाने के लिए 

दे सकता है महज एक साथ

अपने पहेचन के लिए

प्यार

दुःख , गम, विपदा के साथ

पकडाता है हाथ सुख का

जीवन का सत्य बताने के लिए

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प्यार

शब्द एक 

लिए अर्थ अनेक

कोई सीना ताने चलता है

देते हैं कई मत्थे टेक

लखते रहते हैं अनेक

प्यार की उस ऊंचाई का अनुभव कर ............
 .