गुरुवार, 10 अप्रैल 2008

मन

इस डाल से उस डाल पर उस डाल से उस डाल पर चलती रहती है हर समय हरदम इस ऊंचाई से उस ढाल पर । तुझे ही रहती है चिंता हर किसी के दुःख में सामिल होनें की । तुझे ही रहता है अफसोस किसी के सुख में न पहुँच पानें की । रहती है ख़बर तुझे ही क्या आरी पड़ोस में हुआ या हो रहा । घट रहा क्या देश समाज में , कौन पहुँच चला कहाँ तक कौन अभी तक सो रहा । सुन्दरता को निहारती तूं ही , तूं ही वासना का देती है साथ । होता है अफसोस तुझे ही ना सुंदर हो पानें की , रख रोती हांथों पर हाँथ। विह्वल हो जाया करती ममता से हो जाती अनाथों को देख अनाथ। करती तो सहायता हर किसी की पर देती है नकार होनें को साथ । ऐ मन तूं इतना ध्यान रखती है हमारा , ताहिं तो स्वीकारते हम तेरा परमार्थ ........... ।

चिंता

ऐ मेरी चिंता तूं कितनी भोली है रे! भोली है कितनी कि हर समय साथ रहा करती है । दुःख हो या विपदा, गम हो या निराशा, प्रतिदिन प्रतिक्षण यहाँ तक कि नीरवता में भी साथ दिया करती है तूं ! क्या मिलता है तुझको मेरे इस साथ में ? प्रसंसा के दो शब्द का भी तो हकदार नहीं तूं , तूं , जो करती है मजबूर सोंचनें के लिए , करती है उत्प्रेरित पानें के लिए , तूं बनाती है कमजोर बहानें के लिए आंसू किसी के मिलन या बिछुड़न पर । फ़िर भी इस हमारे सच्चे हृदय की न बन पाई वफादार है तूं । फ़िर तेरे इस भोलेपन का क्या वजूद? तुझे तो हो जाना चाहिए एकदम कठोर । पर फ़िर भी अभी तक तूं कितना भोली है रे ! ऐ मेरी चिंता तूं कितनी भोली है रे ........ ।

यादों का टूटा तारा हूँ

यादों का टूटा तारा हूँ

रहता हूँ यादों में बिछड़कर

चाहता हूँ निकलना भी, पर

जाऊं कहाँ यादों से हटकर

छूट जाते हैं जब हम सभी से

रूठ जाते हैं जब सब हमी से

हो जाता है अँधेरा

ना कहीं कोई साथी दिखता

ना कहीं कोई सवेरा

तब दूर देश से आती एक रोशनी

सब कुछ कहते सुनते हैं

रोशनी को अपना समझकर

यादों का टूटा तारा हूँ

रहता हूँ यादों में बिछड़कर ........ ।

भाग्य का बिछौना

कहते थे लोग जिनको

खिलौना खिलौना

हाथों का खिलौना

आना जाना काम था जिनका

किसी के पास सिर्फ़ मनोरंजन के लिए

वह आज बन गयी है

सबके जीवन की लकीर

जो मलिका बन गयी है

सबकी जरूरत का

पर

अपनी जरूरत

सुख समृद्धि का फकीर

उसको नहीं था आता

कभी किसी के साथ

रोना धोना

जिसको पता होता था सिर्फ़

अपनें सुख पर गाना

लेकिन आज पड़ता है उसको

सबके सुख- दुःख-गम में

अपनें नयन-नीर बहाना

अब उसे नही कहता कोई

खिलौना खिलौना

सब दोहाई देते फिरते हैं अब

बिछौना बिछौना

भाग्य का बिछौना

सिर्फ़ बिछौना बिछौना

भाग्य का बिछौना ............ ।