बुधवार, 25 नवंबर 2009

पर आंसू किसका गिरा, आह किसने की , आत्मा ने ही तो की?

आज मन अधीर है । चिंतित है । वह मन जो आज कई दिनों से स्वयं में उल्लासित था आज उसकी ये दशा है मैं स्वयं नहीं कह सकता की आख़िर ऐसा क्यों है । क्यों आज यह स्थिर है , जडवत है , वेग नहीं है , गति नहीं है , थका हारा दंडवत है ? क्या इसे किसी ने कुछ कहा या फ़िर अपमानित हुआ यह किसी ऐसे जगंह जहाँ मैं ले गया अथवा यह स्वयं गया ऐसा भी समझ नही आता कुछ। फ़िर क्या वजह है ? क्या यह कही चला जाना चाहता है किसी ऐसे जगह जहाँ न तो कही कोई देख सके और ना ही तो समझ सके । सके अगर कोई कुछ कर तो सिर्फ़ महसूस उसके अन्तर्दशा को , दुर्दशा और विवशता को । कुछ कहा नहीं जा सकता ।

फ़िर आत्मा तो एक सर्वसत्ता है । मन उसका एक अंश मात्र । तो क्या अंश की विकलता सम्पूर्णता से छिपी रह सकती है । शरीर का कोई एक अंग ही तो टूटता है पर दर्द का आभाष तो मानसिक प्रक्रियाओ से ही होता है न ? तो क्या हम ये नही कह सकते की आज हमारी आत्मा ही दुखी है ? मन में तो एक ठोकर ही लगा , सम्हला वह कुछ भले ही गिरते गिरते सम्हला । पर आंसू किसका गिरा ? आह किसने की ?आत्मा ही ने तो की । चोट खाने वाला तो बेहोश हो जाता है दर्द की कडवाहट झेलता तो वही है जो निगरानी करता है रखवाली करता है ।

मन भी दुखी है । आत्मा भी दुखी है । तो क्या यह भी कहना आवश्यक है कि हमारे शरीर के सरे अवयव ही दुखी हो गए है ? शिथिल हो गए हैं ? ना तो ये पहले की भाँती फुदुक सकते हैं और ना ही तो रह सकते हैं स्थिर । फ़िर ,जब इन्हे सर्दी , खांसी , ना मलेरिया हुआ ' तो ये नया रोग नई बीमारी कहाँ से आ टपकी । जिसके प्रस्तुत ध्वनि मात्र से हमारे शरीर के सरे अवयव पंगु हो गए ।

ऐसी दशा इस समय सिर्फ़ हमारी ही है या सम्पूर्ण मानव जाती की । एक सुंदर पथ पर गमन करते करते असुन्दरता का ये कड़वा मिश्रण बिना किसी निमंत्रण के बिना किसी प्रयोजन के आख़िर मेरे बीच कहाँ से उपस्थित हो गयी ? जो मुझे कीचड मन धकेले जा रही है , घसीटे जा रही है । लिए जा रही है । मैं नहीं जाना चाहता । वह कीचड , वह मैल , वह दलदल मुझे नहीं पसंद है । मै नही जाना चाहता । रोको , कोई रोको , पूछो , कि मैं जब नहीं जाना चाहता तो मुझे यह क्यों लिए जा रही है ? क्यों नहीं छोड़ देती मुझे उसी जगंह जहाँ पर मैं पहले था ? पर पूछे कौन ...................?

1 टिप्पणी:

Rajeysha ने कहा…

kya atmalaap sundar hota hai?