बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

.मायावी सुर मायावती के

क्या पड़ी है हमें मुसीबतों से तुम्हारे 

हमारे लिए तो बहुत हैं हमारे 

नहीं मिला तुम्हें तो हर्ज क्या है आखिर 

हमें तो मिलेगा ही जो चाहते हैं हमारे  . 


लिखा भाग्य में है रहो लाइनों में 

बदलेगा, न सक , चेहरा बस आइनों में

हो साथी मुसीबत के सुख करोगे क्या आखिर

पाने  दो  उनको  जो  सगे  हैं  हमारे


ऐसा नहीं की दूर हम होंगे तुमसे 

रहेंगे वहीं न मिल पाओगे हमसे 

हैं  'जनप्रतिनिधि ' मगर ज्यादा चाहोगे क्या आखिर 

करने दो उनको जो चाहते हैं हमारे


यही क्या कम, पहुँच दर्शन दिए हम

तुम्हारे लिए आशा का दर्पण लिए हम 

हो मगन , देखो  चेहरा और जरूरत ही क्या आखिर
  
जरूरत हमारी ,'अनिल ' है पास आए हम तुम्हारे ..........