बुधवार, 28 सितंबर 2011

फिर वही रास्ते मिले

फिर 
वही रास्ते मिले 
मोड़ वही 
गुजरते थे जहां से 
कुछ दिनों पहेले भी 
वही दूब
कंकर वही 
भूमि वही 
बंजर परी
वही रास्ते 
ईंटो के खडंजे 
मिट्टियों की बनी 
दिख रहे हैं 
वही का वही 

पर 
हम बदल गये 
विचार हमारे
व्यवहार हमारे
जो रहा करते थे 
नहीं रहे वही 

क्या बदलेंगे वे रास्ते भी 
जो अब भी पड़े हैं 
वहीं के वहीँ 
जहां से हम चलते थे 
खड़े जो अब भी 
दिख रहे 
वहीं का वहीं ........

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