प्यार
जो पलता रहा ह्रदय में
दिये सा जलता रहा
लौ आशा की
सजाती रही स्वप्न भूमि
और
यथार्थ बराबर खलता रहा
समय
दिन दोपहर घंटे
बदलता रहा बदलता रहा
बढ़ता रहा विश्वास
बांधती रही आश
और
ह्रदय मचलता रहा
तुम जो तुम रहे
मै जो मै रहा
भेद न सका दीवार यह
धीरे धीरे दूर तुम दूर मै
एक दूसरे से होते रहे
मिलकर भी बिछड़ते रहे
तुम मुझे हम तुम्हे खोते रहे
न जाने किन खयालो में
तब से लेकर जब तुम मिले थे
आज तक हम विचरते रहे
जो पलता रहा ह्रदय में
दिये सा जलता रहा
लौ आशा की
सजाती रही स्वप्न भूमि
और
यथार्थ बराबर खलता रहा
समय
दिन दोपहर घंटे
बदलता रहा बदलता रहा
बढ़ता रहा विश्वास
बांधती रही आश
और
ह्रदय मचलता रहा
तुम जो तुम रहे
मै जो मै रहा
भेद न सका दीवार यह
धीरे धीरे दूर तुम दूर मै
एक दूसरे से होते रहे
मिलकर भी बिछड़ते रहे
तुम मुझे हम तुम्हे खोते रहे
न जाने किन खयालो में
तब से लेकर जब तुम मिले थे
आज तक हम विचरते रहे
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