सोमवार, 13 दिसंबर 2010

मन का लहर

मन का लहर
सुन्दर होता है कितना
आसमान में चमचमाते
टिमटिमाते तारों जैसा
चमकाना भी क्या
होता है सुन्दर इतना
या स्तित्व मात्र
नदी के किनारे
लहर के झोकों से
थक , हर , बैठे सुस्ताये
रेतीले खंडहरों जितना
होता है बस इतना
मन का लहर सुन्दर
बुझे बुझे रेतीले खँडहर जितना .........

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