सोमवार, 13 दिसंबर 2010

मध्यवर्गीय परिवार

सब कुछ होता देख
चुप हो देखते रहना
होगा बदा में देगा भगवान
भाग्य को अपने  कोसते रहना
मर्जी है उसकी
सह लेना
सबकुछ
लुटने के बाद भी
'कुछ' तो है कहते रहना
आ जाना सड़क पर
आह्वान के लिए नहीं
दान के लिए
क्या यही है
मध्यवर्गीय परिवार
सब कुछ गंवाकर
बस सोचते रहना ...............
मध्यवर्गीय परिवार

कोई टिप्पणी नहीं: