कुछ सोचा कुछ बाकी है
गुरुवार, 4 अक्टूबर 2007
क्या है मानव जीवन?
दुःख है
विपदा है
सघर्ष है
चल सम्पदा है
निरुपाय निरर्थक
एक विकट विकराल आपदा है
यह मानव जीवन
या
सुख है
समृद्ध है
सहज स्वीकार्य
मानवता की सुमनावीय
भावाभिव्यक्ति की
अचल सम्पदा है
यह मानव जीवन ?
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