गुरुवार, 27 मार्च 2008

उड़ते मन के ख्यालों से

हे मन आश तूं केके लिए है

प्यार वफ़ा रिश्ते सब नाते बस थोड़े दिन के हैं

आज खुसी कल खिल खिल हँसना परसों गाना हाल

नरसों सुन कुछ गुस्सा होना अगले दिन दुःख के हैं

भूल जा चेहरा फ़िर से उनके जानें से ले सन्यास

तीखे वचन "अनिल" शरीर शालत अच्छे के मालिक के हैं .................. ।

मैं तो मातु चरण रज प्यासा

कब आएगी अमृत -रज उसकी कब देगा मन दिलासा

सोंचा था प्रतिपल साथ वो मेरे होगी शाश्यामल जीवन गाथा

उसकी ममता हर वो सुख देगी मन लहरेगा ध्वजा सा

अब तो मम ख्वाबें भी रूठे दामन पकडी निराशा

जीवन मैं सब सुख साधन हैं पर नहीं उसकी आशा ................ ।

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