बुधवार, 26 मार्च 2008

प्रियतम संदेश

ये हवा जाके उनसे कह देना

हम याद बराबर करते हैं

वो चाहे जितना दूर रहे

पर मेरे दिल में रहते हैं



याद हमारी उनको भी

दिन रात सताया करती है

सब जान के वो अनजान बने

दिल दर्द शिकायत सहते हैं



हम आज भी पहले जैसे हैं

जिस हाल में थे कुछ वैसे हैं

पर वो हंस कर कह देते है

हम कुछ कहनें से डरते हैं



कुछ ऐसा संदेसा भी कहेना

कुछ उनकी भी तुम सुन लेना

पर चुप रहेना बुत बनकर तूं

हम जैसे गुमसुम रहते हैं



अरविंद सो आनन दिखता है

फूलों की गली में घर उनका

कुछ और पता हम भूल गए

पर गुल की गुलशन में रहते हैं



ये हवा जाके उनसे कह देना

हम याद बराबर करते हैं

वो चाहे जितना दूर रहें

पर मेरे दिल में रहते हैं ............... ।

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