रविवार, 1 जून 2008

जीता रहता हूँ मैं

लोग कितने आलसी हो गए हैं

एक घर के निर्माण में

एक महीने के दिन भी

हो जाते हैं कम

कितनी कर्मठता है मुझमें

की एक घर मैं रोज ही

बनता हूँ , रहता हूँ , और

बिगाड़ता हूँ

छोड़ देता हूँ उसको

ख़ुद के लिए नहीं

आने वाली नस्लों के लिए

खंडहर के रूप में

रहता है वह खंडहर

कम, अधिक , घटते - बढ़ते क्रम से

वह निरंतर रहती है

जीता रहता हूँ मैं

उसके लिए नहीं

आने वाली नस्लों के लिए

एक पूर्वज के रूप में ........ ।

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