सोमवार, 2 जून 2008

तब तुम याद आते हो .......

कभी कभी

जब हर जगंह से

टहल टहल कर थक जाता हूँ मैं

तब तुम याद आते हो

याद आते हो की यदि पास होते

तो तुम्हारा आंचल होता

होता मैं दुखी जब , हाँथ के साथ उठता

वह आंचल तेरा, मेरे सिर तक पहुँचता

धीरे धीरे नींद आती होती

आ जाती , तब तुम जगाते

जगाते और कहते

खाने से पहले मत सोया करो

सोया करो पर जल्दी नहीं

पढ़ लिख कर

आते हो याद तब भी

जब कोई डांट जाता है

की यदि होते तुम तो कहते लोग 'प्यारे भइया '

'उठ उठ ' ना कह कर कहते लोग

' उठो बेटा ! सुबह हो गयी .......... ।

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