दर्द उठा भीतर कोई
ढूंढ रहा मैं बावला हो
पता ना चला कारण कोई
क्या तार छिटका दिल का कहीं से
या अपने की कोई पुकार आयी
बरस पडी आँखें अचानक
क्या वेदना नें ले ली है अंगडाई
खिन्न मन , टूटी आत्मा, रूठा ह्रदय
अनेको विकल्प उस कारण के
फ़िर भी उलझा मन अकारण
शायद नहीं दिया कुछ भी सुनाई .......... ।
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