रविवार, 1 मार्च 2009

कारण अकारण

दर्द उठा भीतर कोई

ढूंढ रहा मैं बावला हो

पता ना चला कारण कोई

क्या तार छिटका दिल का कहीं से

या अपने की कोई पुकार आयी

बरस पडी आँखें अचानक

क्या वेदना नें ले ली है अंगडाई

खिन्न मन , टूटी आत्मा, रूठा ह्रदय

अनेको विकल्प उस कारण के

फ़िर भी उलझा मन अकारण

शायद नहीं दिया कुछ भी सुनाई .......... ।

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