मंगलवार, 13 मार्च 2012

यहि जीवन का नाम ही माया

इन फूलों की कौन कहें

जो पा मौसम मदमाते हैं

अपनी सुन्दर काया से

मानव मन हरसाते हैं

लोभ रूप संवरण का ऐसा

लालच पुष्प की भंवर को जैसा

फिर चिंता कैसी डर और कैसा

पाओ जैसी खींचो वैसा

रूप रहे न मिलेगी काया

यहि जीवन  का नाम ही माया 

ऐसा ही कुछ नियम सृष्टि का

भाग्य सभी आजमाते हैं

देख रूप लावर्न्य पुष्प का

इर्द-गिर्द मंडराते हैं , पर

बदकिस्मत , हतभाग्य विधि का

कुछ तो कुछ पा जाते हैं

बाकि व्यर्थ समय गंवाते हैं ....... . 

कोई टिप्पणी नहीं: