मंगलवार, 13 मार्च 2012

याद आता है

याद आता है

बतलाना उनका

व्यवहार भाव आदर का

खाट छोड़ धीरे

गोड्वारी से  सिरहाने तक

सरक जाना उनका

याद आता है

पूछना हाल चाल

ढंग से मुस्कुराना ,

हँसना, नत नयन कर

पाय लागी पंडित जी कहना

हलके से सिर को झुकाकर      

रूप उनका आ जाता है

सामने पूरा का पूरा

और मैं .....

सोचता रह जाता हूँ तब

क्यों ? क्यों आखिर

ऐसे लोग मरा करते हैं

खुश हो स्वयं

धन्य कर अपने को

दुखी दूसरों को किया करते है ...... .    

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